अध्याय -२८ विविधाशितपीतीय ( कामला – रक्तज ) रस विकार- ज्वर, तमः , पाण्डु , क्लैव्य ( also शुक्रज ,संतर्पणजन्य) दर्शनं तमसः – मज्जा तम – V नानात्मज विकार ...
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जान्तव द्रव्य
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जान्तव द्रव्य – कस्तुरी – Moskus,Musk मृगनाभि वेधमुख्या सहस्त्रभिद् (सहस्त्रवेदी – हिंगु) रस – कटु वीर्य – ऊष्ण विपाक – कटु चतुर्भुज रस ,हिंगुकर्पूर वटी,दशमूलारिष्ट,मृगमदासव मात्रा - ६०-१२० मि.ग्रा. ( ½ -१रत्ती ) o कामरुप - कृष्ण o नेपाली - नील o काश्मरी – कपिल – श्रेष्ठ – ( केशर का भेद भी – ३ – काश्मरी बाह्लीक पारसीक) मृगश्रंग – शम्बर,विषाण मधुर उष्ण मधुर ( श्रृंग – हृदयशूल,पार्श्वशूल) बालार्कगुटिका क्षयकेसरी रस अग्निजार – अम्बर – ambergris - बृहत ब्राह्मी वटी ...
अध्याय – १ वेदोत्पत्ति
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अध्याय – १ वेदोत्पत्ति (ओपद्रविकं – उत्तर तंत्र – १ अध्याय ) Ref. v तदर्थं हि वेदोऽयं संप्रकाशितः । v तस्यायुषः पुण्यतमो वेदो वेदविदां मतः । ( च.सू.१) § पुरुष,व्याधि,औषध,व क्रियाकाल चतुष्ट्य का संक्षेप में वर्णन । § वेद – ब्रह्मा द्वारा स्मरित,अपौरष्य,कृत रहित § धन्वन्तरि उत्पत्ति – समुद्रमंथन से ( विष्णुपुराण) विष्णु अंशांश (भागवत्) § धन्वन्तरि शिष्य – ७ – औपधेनव औरभ्र पौष्कलावत् सौश्रुत वैतरण करवीर्य गोपुररक्षित । § ( १२ = ७ + ५ – भोज,निमि,कांकायन,गार्ग्य,गालव ) § प्रथम संहिता – ब्रह्मसंहिता – १,००० अध्याय व १,००,००० श्लोक § भूलोक की प्रथम संहिता – क्षारपाणि संहिता § आयुर्वेदावतरण – स्वयम्भूः प्रोक्तं,काशिपति प्रकाशितं । § आयुर्वेद – अष्टांग व अथर्ववेद का उपवेद/उपांग(चरक व हस्त्यायुर्वेद ) ( ॠग्वेद का उपवेद – व्यासकृत चरणव्यूह व शंकरोक्त आयुर्वेद ग्रंथ) पंचम वेद –काश्यप अष्टांगों का निर्माण – ब्रह्मदेव द्वारा (Sus) अग्निवेशादि द्वारा(A.S.) § आयुर्वेद की परिभाषा § ...